पित्ताशय की पथरी
पित्ताशय की पथरी एक दर्दनाक समस्या है, जो पित्ताशय में पत्थर के रूप में बन जाती है। पित्ताशय एक छोटा नाशपाती के आकार का अंग है, जो लीवर के नीचे स्थित होता है इसका मुख्य कार्य पित्त को संग्रहित करना और इसे छोटी आंत में छोड़ना होता है ,जिससे वसा का पाचन होता है। जब पेट में कोलेस्ट्रॉल या अन्य पदार्थ जमने लगते हैं ,तो यह कठोर कण का रूप ले लेते हैं जिसे पथरी कहते हैं।
पित्ताशय की पथरी क्यों होती है ;-
पित्ताशय की पथरी निम्न कारणों से होती है:
- पित्ताशय में रासायनिक संतुलन का बिगड़ना पित्त पथरी का कारण बनता है।
- पित्ताशय के पित्त में कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम ग्लाइकोलेट और बिलीरुबिन की मात्रा अधिक होने से पथरी बनती है।
- पित्ताशय में 80% पथरी कोलेस्ट्रॉल से, और 20% पथरी कैल्शियम ग्लाइकोलेट और बिलीरुबिन से बनी होती है।
पित्ताशय की पथरी के लक्षण :-
आमतौर पर पित्ताशय की पथरी के लक्षण सभी लोगों में दिखाई नहीं देते हैं।
लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं:
- पित्ताशय की सूजन और दाहिनी बगल में दर्द
- पेट दर्द
- बुखार
- जी मिचलाना, उल्टी होना
- पेशाब का गहरा पड़ना
- पेट भर जाना और डकार आना
पित्ताशय की पथरी के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती है इनमें से हो सकने वाली कुछ जटिलताएं इस प्रकार है :-
- पित्ताशय में पथरी फंस सकती है, जिससे पित्ताशय फट सकता है, जो की जानलेवा होता है।
- पित्ताशय में सूजन व पस पड़ सकता है।
- गालस्टोन पौंक्रियाटाइटिस – पित्ताशय की पथरी के कारण ब्लॉक हो चुकी पौंक्रियाटिक डक्ट के कारण पैंक्रियाज या अग्नाशय में सूजन आ सकती है।
- लिवर की बीमारी – जब पित्त लीवर में वापस आता है तो यह सूजन पैदा कर सकता है लगातार ऐसा होते रहने से लीवर में क्षति हो सकती है।
- पित्ताशय का कैंसर हो सकता है इससे पित्त का प्रवाह रुक सकता है।
- पीलिया – जब यह इकट्ठा हुआ पित्त खून में जाता है तो इसके कारण आंखों या स्किन में पीलापन आ सकता है ऐसा बिलीरुबिन के कारण होता है, जो पित्त में बनने वाला एक पीले रंग का रंजक( पिगमेंट )है।
पित्ताशय की पथरी से निदान और इलाज :-
- मरीज अपने लक्षण देखकर और फिजिकल टेस्ट करके अपने डॉक्टर से परामर्श करके अपने उपचार का निदान कर सकते हैं
- पित्ताशय में पथरी की उपस्थिति की पुष्टि के लिए अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एक्स-रे या रेडियोन्यूक्लाइड स्कैन किया जाना चाहिए।
- पित्त नली की स्थिति का आकलन करने के लिए एंडोस्कोपी रेट्रोग्रेड कोलेंजनोपैंक्रियाटोग्राफी (ERCP)का उपयोग किया जा सकता है।
इलाज :– पित्ताशय की पथरी का इलाज सर्जिकल रूप से किया जा सकता है, जो की दूरबीन पद्धति से किया जाता है।
लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी :- इसमें मरीज का केवल चार छोटे-छोटे चीजों के माध्यम से ऑपरेशन किया जाता है जो की ओपन सर्जरी की तुलना में कम दर्दनाक होता है। पित्ताशय को निकाला जाता है । इसमें मरीज को आमतौर पर अस्पताल में केवल एक या दो दिन रहने की आवश्यकता होती है। इसके बाद जल्दी से मरीज अपने काम या सामान्य गतिविधियों पर लौट सकते हैं घाव तेजी से भरेंगे और निशान मुश्किल से दिखाई देंगे।
ऑपरेशन के बाद खाने का परहेज :-
ज्यादा परहेज करने की जरूरत नहीं रहती है बस ज्यादा तले-गले पदार्थ नहीं खाना है।
तैलीय व वसा युक्त पदार्थ को नजरअंदाज करना है।
….………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………











